
'संवदिया' का जनवरी-मार्च 2012 अंक विशेष आकर्षण लिए हुए है। इसमें युवा कथाकार एवं पत्रकार पुष्यमित्र का संपूर्ण उपन्यास 'सुन्नैर नैका' का प्रकाशन किया गया है, जो कोसी अंचल की एक बहुश्रुत लोककथा पर आधारित है। उपन्यास पर गिरीन्द्रनाथ झा और पशुपति शर्मा की टिप्पणियॉं भी प्रकाशित की गई हैं। पत्रिका का मुखपृष्ठ कोसी अंचल के प्रतिष्ठित कवि-आलोचक एवं संत साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान डॉ. महेश्वर प्रसाद सिंह के चित्र से सुसज्जित है और उनके रचनात्मक अवदान पर डॉ. देवेन्द्र कुमार देवेश का आलेख प्रकाशित किया गया है। डॉ. शिवनारायण द्वारा लिखित कलकत्ते का यात्रा वृत्तांत भी मर्म को छू लेनेवाला है।
badhai
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और शुभकामनायें !
ReplyDeleteअरसे से'संवदिया'के साथ संवाद-सेतु भंग है,किन्तु इसकी निरन्तरता और प्रगति के बारे में जानकर मन प्रसन्न हो उठता है !!
कोसी अंचल से निकालने वाली ये महत्वपूर्ण पत्रिका संवादिया ने कई संग्रहणीय अंक दिये हैं ,इस कड़ी मे पुष्यमित्र जी का सम्पूर्ण उपन्यास सून्नइर नैका देकर अपने संपादकीय विवेक का एक बार पुनः परिचय प्राप्त होता है...फणीश्वर नाथ रेणु की महान शिल्पी परंपरा का निर्वहन करने वाली इस पत्रिका परिवार के सभी सदस्यों के जज्बे को सलाम। समवदिया दीर्घजीवी हो और लगातार संग्रहणीय अंक लेकर प्रस्तुत हो इसकी कामना करता हूँ
ReplyDelete....हर मोर्चे पर आपके साथ ...आपका....
अरुणाभ