संवदिया प्रकाशन, अररिया, बिहार द्वारा कोसी अंचल के वरिष्ठ कवि, कथाकार श्री भोला पंडित 'प्रणयी' के प्रधान संपादन में 'संवदिया' नामक त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन अक्तूबर 2004 से नियमित रूप से हो रहा है। आरंभ से ही पत्रिका के हर अंक में कोसी अंचल के किसी महत्वपूर्ण दिवंगत लेखक का परिचय, फोटो और उसके कृतित्व का आकलन करनेवाले लेख छापे जाने की परंपरा का निर्वाह इस पत्रिका ने निरंतर किया है।
Tuesday, November 29, 2011
'संवदिया' का अमोघ स्मृति अंक : जुलाई-दिसंबर 2011
संवदिया' त्रैमासिक पत्रिका का नवीनतम संयुक्तांक (जुलाई-दिसंबर 2011) मूर्धन्य कवि पंडित अमोघ नारायण झा अमोघ की स्मृति में 'अमोघ स्मृति अंक' के रूप में प्रकाशित हुआ है। इसके लेखकों में शामिल हैं : मैनेजर पांडेय, खगेन्द्र ठाकुर, श्रीरंजन सूरिदेव, कर्मेन्दु शिशिर, कमला प्रसाद बेखबर, विद्यानारायण ठाकुर, इंदुशेखर, लखनलाल सिंह आरोही, मोतीलाल शर्मा, अनुज प्रभात, बसंत कुमार राय, मांगन मिश्र मार्तण्ड, बलदेव प्रसाद सिंह, भोला पंडित प्रणयी, अनिता रानी अन्नु, सत्येन्द्र निगम आदि। अंक में अमोध जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विभिन्न संस्मरणात्मक एवं समालोचनात्मक लेखों का अद्भुत सगम है। साथ ही उनके द्वारा लिखित तथा उन्हें प्राप्त कुछ पत्रों को भी अंक में शामिल किया गया है। कवि अमोघ की रचनाओं में उनकी गीत-कविताओं के अलावा रेणु और नागार्जुन संबंधी उनके अद्भुत संस्मरण के साथ उनके स्वयं के बचपन की स्मृतियॉं शामिल हैं।
Friday, August 19, 2011
संवदिया : अप्रैल-जून 2011, दलित विमर्श पर विशेष सामग्री
'संवदिया' के अप्रैल-जून 2011 का अंक विशेष रूप से दलित विमर्श पर केन्द्रित है। इसमें डॉ. सुरेन्द्र स्निग्ध, दिलीप मंडल और डॉ. कामेश्वर पंकज के आलेख हिन्दी में दलित लेखन और नौकरशाही में दलित-पदों के प्रवेश पर आधारित विमर्श को नए आयाम देते हैं। पत्रिका का मुखपृष्ठ स्मृतिशेष हिन्दी कवि जानकीवल्लभ शास्त्री के नयनाभिराम चित्र से सुसज्जित है। कोसी अंचल के स्मृतिशेष साहित्यकार विद्यानारायण ठाकुर पर स्मिता झा एवं संजीव रंजन के आलेख प्रकाशित हैं, जबकि शास्त्री जी पर देवेन्द्र कुमार देवेश द्वारा लिखित संस्मरण। अन्य आलेखों में असलम हसन का लेख 'प्राचीन इतिहास के जिन्दा साक्ष्यों की खोज में' तथा अमरदीप का लेख 'कविता में बाजार का प्रवेश' महत्वपूर्ण हैं। राजकमल चौधरी की स्मृतिशेष पत्नी शशिकांता चौधरी पर देवशंकर नवीन का संक्षिप्त लेख भी उल्लेखनीय है।
पत्रिका की अन्य सामग्रियों में निरुपमा राय, रफी हैदर अंजुम एवं विभा देवसरे की कहानियॉं तथा श्यामसुंदर घोष, इंदुशेखर, राजकुमार कुंभज, सुशीला झा, केशवशरण, मंजुश्री वात्स्यायन, नवनीत कुमार, संजीव ठाकुर, मनोज कुमार झा, दिव्या तोमर और सुरेन्द्र कुमार की कविताऍं शामिल हैं। पुस्तक समीक्षाऍं तथा अन्य स्थायी स्तंभ तो हैं ही।
पत्रिका की अन्य सामग्रियों में निरुपमा राय, रफी हैदर अंजुम एवं विभा देवसरे की कहानियॉं तथा श्यामसुंदर घोष, इंदुशेखर, राजकुमार कुंभज, सुशीला झा, केशवशरण, मंजुश्री वात्स्यायन, नवनीत कुमार, संजीव ठाकुर, मनोज कुमार झा, दिव्या तोमर और सुरेन्द्र कुमार की कविताऍं शामिल हैं। पुस्तक समीक्षाऍं तथा अन्य स्थायी स्तंभ तो हैं ही।
Tuesday, March 8, 2011
संवदिया : जनवरी-मार्च 2011, फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन पर विशेष
'संवदिया' का नवीनतम अंक जनवरी-मार्च 2011, फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन पर विशेष सामग्री के साथ प्रकाशित हुआ है। 1955-56 में डॉ. मधुकर गंगाधर के नाम लिखे गए फणीश्वरनाथ रेणु के चार लंबे पत्र इस अंक का खास आकर्षण हैं, जो पहली बार हिन्दी साहित्य संसार के सामने आए हैं। नागार्जुन के काव्य में मिथिला के लोकजीवन का दिग्दर्शन कराता डॉ. वरुण कुमार तिवारी का लेख भी महत्वपूर्ण है। रेणु की रचनाओं पर बनी फिल्मों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है कर्नल अजित दत्त ने। अन्य सामग्रियों में डॉ. फरहत आरा (वहाजुद्दीन सिद्दीकी पर), रामखेलावन प्रजापति (खेदनप्रसाद चंचल पर), संजीवरंजन (मणिपुर पर) के लेख, श्री सुखदेव नारायण का संस्मरण, श्यामल, डॉ. धर्मदेव तिवारी, भोला पंडित प्रणयी, नरेन्द्र तोमर, लीलारानी शबनम, चेतना वर्मा, अर्पण कुमार, स्नेहा किरण, विभुराज चौधरी आदि की कविताऍं तथा रहबान अली राकेश, प्रभात दुबे, अरुण अभिषेक एवं इंदिरा डांगी की कहानियॉं शामिल हैं। समीक्षा आदि स्तंभ तो हैं ही।
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