Tuesday, December 28, 2010

'संवदिया' : अक्‍टूबर-दिसंबर 2010, सरहपा और बालसाहित्‍य पर केन्‍द्रित


'संवदिया' का अक्‍टूबर-दिसंबर 2010 का अंक सिद्ध सरहपा और बालसाहित्‍य पर विशेष रूप से केन्‍द्रित है। पत्रिका में प्रकाशित डॉ. देवेन्‍द्र कुमार देवेश की टिप्‍पणी में उन्‍हें कोसी अंचल का कवि बताया गया है। ध्‍यातव्‍य है कि सरहपा हिन्‍दी के प्रथम कवि माने जाते हैं। पत्रिका में प्रतिष्‍ठित विद्वान डॉ. विश्‍वंभरनाथ उपाध्‍याय द्वारा लिखित 'सरहपा का दर्शन और कविता' शीर्षक खास आलेख प्रकाशित है। साहित्‍य अकादेमी द्वारा भारतीय भाषाओं में प्रकाशित बालसाहित्‍य की श्रेष्‍ठ कृतियों के लिए 2010 से बालसाहित्‍य पुरस्‍कार आरंभ किए गए हैं। हिन्‍दी में यह पुरस्‍कार डॉ. प्रकाश मनु को तथा मैथिली में कोसी अंचल के प्रतिष्‍ठित लेखक तारानंद वियोगी को प्रदान किए गए हैं। पत्रिका के इस अंक में पुरस्‍कार प्राप्‍ित के अवसर पर दिए गए उनके वक्‍तव्‍यों को प्रकाशित किया गया है। प्रधान संपादक भोला पंडित प्रणयी का संपादकीय राष्‍ट्रभाषा हिन्‍दी के महत्‍व पर केन्‍द्रित है, जबकि संपादक अनीता पंडित ने अपने संपादकीय में कोसी केन्‍द्रित वेबपेजों/ब्‍लॉगों पर चर्चा की है।
इस अंक में प्रकाशित अन्‍य महत्‍वपूर्ण रचनाऍं हैं : डॉ. रमेशचंद्र शाह की डायरी के अंश, 'कथा कोसी' (बच्‍चा यादव द्वारा संपादित विशिष्‍ट कहानी-संग्रह) पर समीक्षात्‍मक आलेख, रंजू कुमारी द्वारा लिखित आलेख 'भारत के विभन्‍न कला रूपों में चिकित्‍सा व स्‍वास्‍थ्‍य', डॉ. तारिक असलम 'तस्‍नीम' और रतन वर्मा की कहानियॉं, ओमप्रकाश कश्‍यप के शीघ्र प्रकाश्‍य उपन्‍यास 'दंश' का एक अंश तथा तीन महत्‍वपूर्ण आलेख - लोक संस्‍कृति की लय है कजरी (कृष्‍ण कुमार यादव), बाल कुपोषण एवं महिलाऍं (विमला कुमारी) एवं द्वितीय विश्‍वयुद्ध, आजाद हिन्‍द फौज एवं भारत (संजीव रंजन)।
पत्रिका में राजेश्‍वरी पंडित की लघुकथाऍं और 'चल नदिया के पार' (सुबोध कुमार सुधाकर का गीत संग्रह), 'गीतमाला' (पद्मानंद की कविताऍं) 'अंधेरों से मुठभेड़' (भोला पंडित प्रणयी का गजल संग्रह) और 'अफसोस के लिए कुछ शब्‍द' (डॉ. अरविन्‍द श्रीवास्‍तव का कविता संग्रह) की समीक्षाऍं भी प्रकाशित हैं।
'संवदिया' के इस अंक में शामिल कविताओं के कवि हैं - ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग, रमेश कुमार रमण, सत्‍येन्‍द्र शशि, विमलेश त्रिपाठी, नवनीत कुमार, प्रमोद पंडित, सुरेन्‍द्र कुमार, निशांत, राजेशचंद्र, विजयशंकर द्विवेदी और आदर्श कुमार इंकलाब

Friday, September 24, 2010

'संवदिया' : जुलाई-सितंबर 2010, रामनारायण तूफान पर विशेष


'संवदिया' का जुलाई-सितंबर 2010 का अंक कुछ देर से प्रकाशित हुआ है। यह अंक विशेष रूप से कोसी अंचल के स्‍वतंत्रता सेनानी, रंगकर्मी नाटककार रामनारायण तूफान पर केन्‍द्रित है। अंक में उनके ग्रामीण युवा रंगकर्मी नाटककार अखिलेश अखिल द्वारा लिखित आलेख के साथ-साथ रामनारायण तूफान का आत्‍मकथ्‍य 'मेरी जीवन-यात्रा' प्रकाशित किया गया है।
अंक की अन्‍य विशिष्‍ट सामग्री है, राम शिव मूर्ति यादव द्वारा जाति आधारित जनगणना की अनिवार्यता पर लिखा गया आलेख, जिसमें उन्‍होंने पर्याप्‍त ऑंकड़े और तर्क प्रस्‍तुत करते हुए जाति आधारित जनगणना को अनिवार्य बताया है। अंक की अन्‍य सामग्रियों में हैं--हरि दिवाकर की कहानी 'हैप्‍पी न्‍यू ईयर' जवाहर किशोर प्रसाद की 'एहसास की नई सुबह', लव शर्मा प्रशांत की 'टूटते रिश्‍ते' और सुभाष नज्‍म की 'मेरा कसूर क्‍या था'।
अंक में प्रकाशित अन्‍य महत्‍वपूर्ण आलेख हैं--'राजधानी दिल्‍ली' (कर्नल अजित दत्‍त) और 'त्रिपुरा दर्शन' (संजीव रंजन)। इनके अलावा अंक का मुख्‍य आकर्षण है--शांति सुमन, श्‍याम सुंदर घोष, भोला पंडित प्रणयी, जोगेश्‍वर जख्‍मी, खेदन प्रसाद चंचल और शिवनारायण शर्मा व्‍यथित के गीत तथा अनुज प्रभात, रेखा व्‍यास, देवेन्‍द्र कुमार मिश्रा, एस. एम. एस. अहमद और मिथिलेश आदित्‍य की कविताऍं। अंक में शांति सुमन के कृतित्‍व पर प्रकाशित पुस्‍तक की लंबी समीक्षा भी प्रकाशित की गई है, जो मधुसूदन साहा के द्वारा लिखी गई है।

Wednesday, July 21, 2010

'संवदिया' : अप्रैल-जून 2010 : सतीनाथ भादुड़ी और दलित साहित्‍य पर विशेष


'संवदिया' का अप्रैल-जून, 2010 के अंक में बांग्‍ला के प्रतिष्ठित कथाकार सतीनाथ भादुड़ी डॉ. उत्तिमा केशरी द्वारा लिखा एक विशेष लेख प्रकाशित है, साथ ही सतीनाथ भादुड़ी और फणीश्‍वरनाथ रेणु के उपन्‍यासों के साम्‍य को लेकर रेणु की मौलिकता पर उठे विवाद पर एक लेख 'रेणु की मौलिकता' (धनंजय कुमार) भी पठनीय है। हिन्‍दी में दलित साहित्‍य के वर्तमान परिदृश्‍य को रेखांकित करता ओमप्रकाश कश्‍यप का आलेख भी महत्‍वपूर्ण है। अन्‍य आलेखों में 'बाबा तिलकामांझी' (कर्नल अजित दत्‍त), 'बंकरवाली ट्रेन' (संजीव रंजन), 'युवा और साहित्‍य' (रामचंद्र प्रसाद यादव), भारतीय संस्‍कृति...(अशोक सिंह तोमर) शामिल हैं।
इस अंक में सुदर्शन वशिष्‍ठ, धर्मदेव तिवारी तथा सरला अग्रवाल की कहानियॉं तथा रमेशचंद्रशाह, सकलदेव शर्मा, नरेन्‍द्र तोमर, अशोक गुप्‍ता, हरिनारायण नवेन्‍दु, सुवंश ठाकुर अकेला, मदनमोहन उपेन्‍द्र, सुरेंद्र दीप, तारिक असलम तस्‍नीम, संजीव ठाकुर, रमेश प्रजापति, रेखा चौधरी, शैलबाला कुमारी, देव नूतन आनंद, राजू गीरापु, सूरज तिवारी मलय, संजीव प्रसाद श्रीवास्‍तव एवं सुरंन्‍द्र कुमार सुमन की कविताऍं शामिल हैं, साथ ही हारून रशीद गाफिल, मुश्‍ताक सदफ, शफक रऊफ एवं सदफ रऊफ की गजलें भी।

Wednesday, July 7, 2010

'परिकथा' में संवदिया की चर्चा


प्रतिष्ठित हिन्‍दी पत्रिका 'परिकथा' के युवा कविता अंक, मई-जून, 2010 के 'ताना बाना' स्‍तंभ में स्‍तंभकार श्री भरत प्रसाद ने 'संवदिया' के नवलेखन अंक-2 (जनवरी-मार्च, 2010) में शामिल कुछेक कवियों पर निम्‍नांकित टिप्‍पणी की है--
स्‍त्री के अनकहे दर्द और राख बनती आकांक्षा के पक्ष में खड़ी चेतना वर्मा की कविताऍं आज की औरत के पराजित सच को महसूस कराने में पर्याप्‍त सक्षम हैं। इसी अंक में रणविजय सिंह सत्‍यकेतु की रचना 'एक कर्मचारी की डायरी'। यह कविता उस हर खुद्दार, सजग, संवेदनशील और तर्कभक्‍त बुद्धिजीवी की हो सकती है, जो अपने आत्‍मनिर्णय को सबसे ऊपर रखते हैं और अकेले चलते हैं। यदि किसी चाल में भेड़ें घुस गईं तो कोई दिक्‍कत नहीं, मगर 'एकला चलो रे' सिद्धांत का पालनकर्ता अच्‍छे-अच्‍छों को फूटी ऑंखों नहीं सुहाता। 'संवदिया' के इसी अंक में प्रकाशित है रमण कुमार सिंह की कविता 'तथाकथित सफल लोगों के बारे में चंद पंक्तियॉं'। यह कविता तथाकथित सफल लोगों की दर नंगी, निर्जज्‍जतापूर्ण और शातिराना हकीकत का मुँह-मुँह बयान करती है। तिकड़मी रास्‍तों के शॉर्टकट से फटाफट सफल हुए लोगों की रहस्‍यपूर्ण सच्‍चाई इस कविता की पंक्तियों से ज्‍यादा भिन्‍न नहीं होती।
स्‍तंभकार ने 'संवदिया' के अक्‍टूबर-दिसंबर, 2009 अंक में छपी शुभेश कर्ण की कविता 'गदहों पर कुछ पंक्तियॉं' तथा जनवरी-मार्च, 2010 अंक में छपी संजय कुमार सिंह की कविता 'उलटबॉंसी है यह...' को अलग से श्रेष्‍ठ कविता चयन में उल्‍लेखित किया है।

Wednesday, June 16, 2010

'‍हंस' में 'संवदिया' की चर्चा


प्रतिष्ठित हिन्‍दी पत्रिका 'हंस' (संपादक : राजेन्‍द्र यादव) के मार्च 2010 के अंक में अपने नियमित स्‍तंभ में 'पुस्‍तक वार्ता' पत्रिका के संपादक श्री भारत भारद्वाज ने 'संवदिया' के विशेषांक 'नवलेखन अंक : एक' पर निम्‍नांकित टिप्‍पणी की है :
''इस पत्रिका में नई प्रतिभाओं का रचनात्‍मक विस्‍फोट ही नहीं है, आकांक्षा और उन्‍माद भी है। देवेश ने अपने संपादकीय विवेक से इसे परिणति की पराकाष्‍ठा तक पहुँचाया है।''

'संवदिया' का नवलेखन अंक : दो

कोसी अंचल के युवा हिन्‍दी लेखन पर केन्द्रित 'संवदिया' पत्रिका का अंक जनवरी-मार्च 2010 विशेषांक 'नवलेखन अंक : दो'के रूप में प्रकाशित हुआ है। इसका अतिथि संपादन भी देवेन्‍द्र कुमार देवेश द्वारा किया गया है। अतिथि संपादक श्री देवेश ने अपने संपादकीय में लिखा है-''कोसी अंचल का नवलेखन' शीर्षक के अंतर्गत परिकल्पित 'संवदिया' के इन दो अंकों में हमने कोसी अंचल में जन्‍मी अथवा यहॉं सक्रिय उस पीढ़ी की रचनात्‍मकता को समेटने का प्रयत्‍न किया है, जिसने प्राय: युवतम भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गॉंधी के इक्‍कीसवीं सदी के सपनों के साथ अपने लेखन की शुरुआत की और आज हिन्‍दी साहित्‍य के राष्‍ट्रीय फलक पर जिनकी थोड़ी-बहुत पहचान और प्रतिष्‍ठा भी है। इसमें हम बाद की पीढि़यों को भी शामिल करने का लोभ संवरण नहीं कर पाए, जिन्‍होंने बीसवीं सदी के अंत अथवा इक्‍कीसवीं सदी के आरंभ में अथवा बिलकुल हाल-फिलहाल लेखन शुरू किया है और अपनी संभावनाओं से न केवल सबका ध्‍यान आकृष्‍ट कर रहे हैं, वरन अपनी विशिष्‍ट पहचान बनाने के लिए तत्‍पर और अग्रसर हैं।''
इस अंक में कोसी अंचल के 13 युवा कवियों की कविताऍं, पॉंच कथाकारों की कहानियॉं और लघुकथा, आलेख एवं एकांकी प्रकाशित किए गए हैं। अंक में प्रकाशित कवियों के नाम हैं-चेतना वर्मा, संजय कुमार सिंह, संजीव कुमार सिंह, नीरज कुमार, रणविजय सिंह सत्‍यकेतु, रमण कुमार सिंह, अरुण प्रकाश, अमरदीप, श्रीधर करुणानिधि, स्‍वर्णलता विश्‍वफूल, कनुप्रिया, आकाश कुमार और अनिमेष गौतम। अंक में शामिल कथाकार हैं-गौरीनाथ, ठाकुर शंकर कुमार, मिथिलेश कुमार राय, अखिल आनंद और आलोक रंजन। अंक में लवकुमार लवलीन का आलोचनात्‍मक आलेख, अखिलेश अखिल का एकांकी और मुकेश कुमार भारती की लघुकथाऍं भी प्रकाशित की गई हैं। साथ ही सात युवा लेखकों की पुस्‍तकों पर समीक्षाऍं भी। देवशंकर नवीन ने प्रकाशित कहानियों पर टिप्‍पणी की है।

Friday, May 28, 2010

'संवदिया' का नवलेखन अंक : एक

'संवदिया' का अक्‍तूबर-दिसंबर 2009 का अंक कोसी के‍न्द्रित नवलेखन अंक है। इस अंक के साथ ही पत्रिका ने अपने छठे वर्ष में प्रवेश किया है। यह विशेषांक साहित्‍य अकादेमी में कार्यरत कोसी अंचल के युवा कवि-आलोचक देवेन्‍द्र कुमार देवेश के अतिथि संपादन में प्रकाशित हुआ है। अपने संपादकीय में उन्‍होंने लिखा है-इस अंक को केवल पिछले कुछेक सालों में कलम पकड़कर उत्‍साहपूर्वक लेखन की ओर प्रवृत्‍त होनेवाले नवातुर नवतुरिया लेखकों पर ही न केन्द्रित करके बीसवीं सदी के अंतिम दशक में हिन्‍दी साहित्‍य के समकालीन परिदृश्‍य पर कुछ हद तक अपनी पहचान बना चुकी कोसी अंचल की नई पीढ़ी पर केन्द्रित किया गया है। साथ ही इसमें इसमें इक्‍कीसवीं सदी के प्रथम दशक में लेखन की दुनिया में कदम रखनेवाली पीढ़ी को भी स्‍थान दिया गया है।
संपादकीय में कोसी अंचल की साहित्‍य परंपरा का संक्षिप्‍त अवगाहन प्रस्‍तुत करते हुए इसे सिद्ध कवि सरहपा, रीति कवि जयगोविन्‍द महाराज, सूफी कवि शेख किफायत, भक्‍त कवि लक्ष्‍मीनाथ परमहंस और संत कवि मेंहीं की भूमि बताया गया है, जिसे अनूपलाल मंडल, जनार्दन प्रसाद झा द्विज, फणीश्‍वरनाथ रेणु, राजकमल चौधरी और लक्ष्‍मीनारायण सुधांशु जैसे हिन्‍दी लेखकों ने भी अपनी ख्‍याति से प्रकाशित किया।
इस अंक में पंद्रह कवियों की कविताऍं, पॉंच कथाकारों की क‍हानियॉं और पुस्‍तक समीक्षाऍं प्रकाशित की गई हैं। कवियों के नाम हैं-अरविन्‍द श्रीवास्‍तव, कल्‍लोल चक्रवर्ती, श्‍याम चैतन्‍य, कृष्‍णमोहन झा, उल्‍लास मुखर्जी, राजर्षि अरुण, शुभेश कर्ण, राकेश रोहित, हरे राम सिंह, देवेन्‍द्र कुमार देवेश, पंकज चौधरी, स्मिता झा, अनुप्रिया, अरुणाभ सौरभ और कुमार सौरभ। कविताओं पर हिन्‍दी के प्रतिष्ठित कवि-आलोचकों डॉ. विश्‍वनाथ प्रसाद तिवारी और डॉ. सुरेन्‍द्र स्निग्‍ध की टिप्‍पणियॉं प्रकाशित की गई हैं।
अंक में संजीव ठाकुर, संजय कुमार सिंह, रणविजय सिंह सत्‍यकेतु, श्रीधर करुणानिधि और उमाशंकर सिंह की क‍हानियॉं हैं, जिनपर डॉ. ज्‍योतिष जोशी और डॉ. देवशंकर नवीन की टिप्‍पणियॉं छापी गई हैं। यह अंक ओमप्रकाश भारती के आलेख और देवांशु वत्‍स की लघुकथाओं से भी सुसज्जित है।