'संवदिया' के अप्रैल-जून 2011 का अंक विशेष रूप से दलित विमर्श पर केन्द्रित है। इसमें डॉ. सुरेन्द्र स्निग्ध, दिलीप मंडल और डॉ. कामेश्वर पंकज के आलेख हिन्दी में दलित लेखन और नौकरशाही में दलित-पदों के प्रवेश पर आधारित विमर्श को नए आयाम देते हैं। पत्रिका का मुखपृष्ठ स्मृतिशेष हिन्दी कवि जानकीवल्लभ शास्त्री के नयनाभिराम चित्र से सुसज्जित है। कोसी अंचल के स्मृतिशेष साहित्यकार विद्यानारायण ठाकुर पर स्मिता झा एवं संजीव रंजन के आलेख प्रकाशित हैं, जबकि शास्त्री जी पर देवेन्द्र कुमार देवेश द्वारा लिखित संस्मरण। अन्य आलेखों में असलम हसन का लेख 'प्राचीन इतिहास के जिन्दा साक्ष्यों की खोज में' तथा अमरदीप का लेख 'कविता में बाजार का प्रवेश' महत्वपूर्ण हैं। राजकमल चौधरी की स्मृतिशेष पत्नी शशिकांता चौधरी पर देवशंकर नवीन का संक्षिप्त लेख भी उल्लेखनीय है।
पत्रिका की अन्य सामग्रियों में निरुपमा राय, रफी हैदर अंजुम एवं विभा देवसरे की कहानियॉं तथा श्यामसुंदर घोष, इंदुशेखर, राजकुमार कुंभज, सुशीला झा, केशवशरण, मंजुश्री वात्स्यायन, नवनीत कुमार, संजीव ठाकुर, मनोज कुमार झा, दिव्या तोमर और सुरेन्द्र कुमार की कविताऍं शामिल हैं। पुस्तक समीक्षाऍं तथा अन्य स्थायी स्तंभ तो हैं ही।
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