कोसी अंचल के युवा हिन्दी लेखन पर केन्द्रित 'संवदिया' पत्रिका का अंक जनवरी-मार्च 2010 विशेषांक 'नवलेखन अंक : दो'के रूप में प्रकाशित हुआ है। इसका अतिथि संपादन भी देवेन्द्र कुमार देवेश द्वारा किया गया है। अतिथि संपादक श्री देवेश ने अपने संपादकीय में लिखा है-''कोसी अंचल का नवलेखन' शीर्षक के अंतर्गत परिकल्पित 'संवदिया' के इन दो अंकों में हमने कोसी अंचल में जन्मी अथवा यहॉं सक्रिय उस पीढ़ी की रचनात्मकता को समेटने का प्रयत्न किया है, जिसने प्राय: युवतम भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गॉंधी के इक्कीसवीं सदी के सपनों के साथ अपने लेखन की शुरुआत की और आज हिन्दी साहित्य के राष्ट्रीय फलक पर जिनकी थोड़ी-बहुत पहचान और प्रतिष्ठा भी है। इसमें हम बाद की पीढि़यों को भी शामिल करने का लोभ संवरण नहीं कर पाए, जिन्होंने बीसवीं सदी के अंत अथवा इक्कीसवीं सदी के आरंभ में अथवा बिलकुल हाल-फिलहाल लेखन शुरू किया है और अपनी संभावनाओं से न केवल सबका ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं, वरन अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए तत्पर और अग्रसर हैं।''
इस अंक में कोसी अंचल के 13 युवा कवियों की कविताऍं, पॉंच कथाकारों की कहानियॉं और लघुकथा, आलेख एवं एकांकी प्रकाशित किए गए हैं। अंक में प्रकाशित कवियों के नाम हैं-चेतना वर्मा, संजय कुमार सिंह, संजीव कुमार सिंह, नीरज कुमार, रणविजय सिंह सत्यकेतु, रमण कुमार सिंह, अरुण प्रकाश, अमरदीप, श्रीधर करुणानिधि, स्वर्णलता विश्वफूल, कनुप्रिया, आकाश कुमार और अनिमेष गौतम। अंक में शामिल कथाकार हैं-गौरीनाथ, ठाकुर शंकर कुमार, मिथिलेश कुमार राय, अखिल आनंद और आलोक रंजन। अंक में लवकुमार लवलीन का आलोचनात्मक आलेख, अखिलेश अखिल का एकांकी और मुकेश कुमार भारती की लघुकथाऍं भी प्रकाशित की गई हैं। साथ ही सात युवा लेखकों की पुस्तकों पर समीक्षाऍं भी। देवशंकर नवीन ने प्रकाशित कहानियों पर टिप्पणी की है।
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